हेल्लो! ये मुलाक़ात एक छोटी सी कहानी का आखिरी भाग “मुकम्मल” है, इससे पहले की कहानी आप यह पढ़ सकते हैं-
अभी तक आपने आपने प्रथम का एक तरफा प्यार और अन्तिमा की खुशनुमा ज़िन्दगी देखी, एक दिन प्रथम अन्तिमा का पीछा करते हुए पकड़ा जाता है, आइये जानते है प्रथम और अन्तिमा के बीच आगे क्या हुआ….
जाने कितने किस्से सुने थे इश्क़ के अफसानों के, उसमे हद से गुजर जाने वाले हमराही के। लेकिन आज जो हुआ वो क्या था? आवारापन ही था ना? किसी अनजान लड़की का पीछा करना, वो भी लंबे समय से । उसकी आदतें, अकेली सड़कों पर खुद से बातें सुनने का अधिकार मुझे किसने दिया था? मेरा अंतर्मन धिक्कार रहा रहा था।
मै अंतिमा के सामने नजरें भी नहीं उठा पा रहा था। आवाज़ अभी भी आ रही थी, चारों ओर से अपमान और तिरस्कार।
“आप लोग जाइए, मुझे इससे कुछ बात करनी है” उसने कहा। मै चौंक गया, सभी भौचक्का थे।
“लेकिन ये आवारा लड़का है, पुलिस आ रही है।”
“चार डंडे लगाएगी तो ठीक हो जाएगा।”
“नहीं तो फिर किसी को छेड़ेगा।”
भीड़ मरवाने पर तुली थी।
“नहीं आप लोग जाइए मै इसे समझा दूंगी, आप लोग जाइए। उसने शालीनता से कहा।
मै हतप्रभ था, आखिर हो क्या रहा है? डर भी लग रहा था।
धीरे धीरे भीड़ छट गई मैंने चोरी से इधर उधर आंखे घुमाई कोई नहीं था बस सामने उसके होने का आभास था।
‘सॉरी!‘ मैंने धीरे से कहा और उसके जवाब का इंतजार करने लगा।
“अच्छा मज़ाक है! पहले तंग करो फिर सॉरी बोल दो। वाह यही कल्चर है ना?” उसने झुंझलाते हुए कहा। उसकी आवाज़ में दर्द साफ झलक रहा था।
मैंने नजरें उठाई , उसकी आंखें नम थी।
“सॉरी अन्तिमा! प्लीज़ माफ कर दो, कभी तंग नहीं करूंगा। शिव जी की कसम!” मैंने एक सांस में बोल दिया।
“क्या बोला तुमने!” उसने सुबकते हुए पूछा।
“कभी तंग नहीं करूंगा!” मैंने फिर से बोला।
“नहीं मेरा नाम कैसे जानते हो?” उसने आसुओं में भीगा रुमाल हाथ मे पकड़ा हुआ था।
“सच सच बताऊं?” मैंने थोड़ा हिचकिचाते हुए पूछा।
तभी बगल से चाय वाला गुजरा, “ब्लैक टी मैडम ब्लैक टी!”
‘हां‘ और पर्स से पैसे निकालने लगी।
“मुझे भी चाहिए चाय, रुको मै पे कर देता हूं।‘ मैंने थोड़ा स्मार्ट बनने की कोशिश की।
उसने पर्स बंद किया, घूरने लगी। उसकी आंखे जो भीगने से थोड़ी सूज गई थी, और ज्यादा क्यूट लग रही थी।
“अभी पीटने से बचे हो, लेकिन कॉन्फिडेंस देखो!” वो थोड़ा मुस्काई।
और फिर मेरी जान में जान आई।
“मै बहुत शर्मिंदा हूं, माफ कर दो प्लीज!” मैंने नजरें झुका ली।
“ठीक है!” उसने कहा।
मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा था कि उसने इतनी आसानी से माफ कर दिया।
चाय ठंडी हो रही थी लेकिन उसकी उदारता देखकर खुद में शर्मिंदगी का बोझ बढ़ रहा था। तभी उसने एक खाली पड़ी कुर्सी की ओर इशारा किया और हम वहां से गंगा की अविरल धारा देख रहे थे, बीच बीच मैं कनखियों से देख लेता। चाय की चुस्की और उसकी मासूमियत अद्भुत संगम था।
“नाम क्या है आपका?” उसने खामोशी तोड़ते हुए पूछा। वो अब भी दूर कहीं कुछ ढूंढ़ रही थी।
“प्रथम” मैंने उसकी ओर देखते हुए जवाब दिया।
उसने गहरी सांस ली। “मेरा नाम कहा से पता किया? कॉलेज?”
उसने मेरी तरफ सवालिया निगाहों से देखा।
‘सोशल मीडिया‘ मैंने शांति से जवाब दिया
‘स्टॉकर?’
“नहीं! लंबी कहानी है।”
और मैंने सारी बातें बता दी। 45 मिनट में सफर रुक सा गया था। सारी बातें, चांद से शिकायतें और चुस्कियों में मीठी यादें सब कुछ।
“शायद आपको लगे कि मै साईको हूं! मेरा तरीका गलत था लेकिन इरादा कभी गलत नहीं था। मुझे मेरी गलती का एहसास है और अब मै आपका पीछा नहीं करूंगा। बस मुझसे नफरत मत करना।” मैंने सब कुछ कह दिया।
आंखें थोड़ी नम थी, खो देने के डर से, पछतावे के बोध से या फिर उसकी मासूमियत भरी उदारता की वजह से मुझे नहीं पता था।
उसने अपना रुमाल दिया।
“अच्छा ठीक है, अब पीछा मत करना। जब मिलना होगा कॉल कर लेना।” उसने हाथ आगे बढाया दोस्ती का। एक पवित्र पावन रिश्ते का। मेरी आंखे छलक उठी ।
“अब लड़कियों कि तरह रोना बंद करो, मुझे भूख लगी है, गोलगप्पे खाते हैं वहीं से” उसने मुस्कराते हुए कहा।
हम निकल पड़े, चाय की चुस्की, दादी की फूल माला और फिर गोलगप्पे की दुकान । हालांकि सभी मुझे जान गए थे लेकिन साथ देखकर थोड़ा सरप्राइज तो होंगे ही।
मै घर गया, अपनी पॉकेट से वो रुमाल निकाला और “उनकी इनायते” बॉक्स में पहले दिन गिरा पेन, एक रोज़ उड़ा डायरी पन्ना, उनकी खींची हुई हर तस्वीर जो सोशल मीडिया पर मेरे लिए विजिबल थी, वो सूखा पत्ता और भी अनगिनत चीजों के साथ रुमाल भी संजो कर रख दिया और हाँ उस रात से चांद से शिकायते भी नहीं थी | अभी भी फ्रेंड रिक्वेस्ट नहीं भेजी है, जो पहले की फोटोज थी वही सेव है | मुलाकातें अब और ज्यादा होती है, अभी भी बहुत कुछ जानना चाहता हूँ, आज कल कुछ ज्यादा खुश रहती है | अच्छा लगता है |
बस”मुलाक़ात एक छोटी सी कहानी” का सफ़र कैसा लगा! मुझे बताइए फेसबुक पर जुड़िये | आपके सुझाव का स्वागत है |
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